सोमवार, 18 जुलाई 2016

दो रूपए

भाग १.

 हाथ में सिक्के लिए बच्चा उत्साह से दौड़ पड़ा
"धीरे ... दौड़ो मत ...जल्दी आना"
आखिरी शब्द कानों तक पहुंचे उससे पहले वो रेस हो गया

"लेम्चुस" पैसे बढाते हुए बच्चे ने कहा

पैसे देने में एक समर्पण भाव होता है बच्चों में, बशर्ते उन्हें जो चाहिए वो मिले  उन्हें पता होता है की पैसे  दे कर उन्हें टॉफी जरुर मिलेगी जो उन्हें अधिक प्रिय है , सो सिक्के वाले हाथ दूकानदार की ओर तन कर बढे होते हैं

दो रूपए के पाँच टॉफी ले बच्चा सीधे घर को चल पड़ता है



भाग २.

ग्राहक को समोसों का दाम मालूम है, पर:  

"दो समोसे" ग्राहक ने बीस का नोट बढाया
"दो change"
"नहीं है, कितने हुए ?"
"बारह "
"दो रूपए छोड़ दो"

ग्राहक मन ही मन मुस्कराता है - या तो दो रूपए छोड़ो, या आठ खुल्ले घुमाओ; दूसरी बात ज्यादा संभव लगती है उसे
दूकानदार सिक्कों में 'आठ' घुमाता है

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